Monday, March 26, 2018

एक क़ता

वो शम्स आज जाने क्यूं महताब हो रहा है
एक ख़ार--दश्त फिर से शादाब हो रहा है
तेरा असर है ये कि बस एहतिमाल है मेरा
जो कुछ मैं पी रहा हूँ, सब शराब हो रहा है

.... 

शम्स - सूरज 
महताब - चाँद 
ख़ार--दश्त - कांटो का जंगल 
एहतिमाल - शंका, आशा 

No comments:

Post a Comment