वो शम्स आज जाने क्यूं महताब हो रहा है,
एक ख़ार-ए-दश्त फिर से
शादाब हो रहा
है.
तेरा असर है ये कि बस एहतिमाल है मेरा,
जो कुछ मैं पी रहा हूँ, सब शराब हो रहा
है.
....
शम्स - सूरज
महताब - चाँद
ख़ार-ए-दश्त - कांटो का जंगल
एहतिमाल - शंका, आशा
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