Tuesday, May 25, 2010

एक ह्रदय है...

एक ह्रदय है आकुल व्याकुल समय की सीमाओं से दूर,

पल में हँसता गाता है फ़िर पल में टूट के होता चूर॥

कितने सपने स्वच्छ मनोरम

सुंदर रंगों से भरपूर,

इस पल दोनों हाथ लुटाता

और अगले पल मौन,मजबूर।

कभी जगत को साथ हंसाये,

कभी बने निष्प्राण,क्रूर,

जब भी घावों को मरहम

देता ख़ुद पाता है एक नासूर।

उसकी पीड़ा कौन सुने अब

अपने आप में सब मजबूर,

रोली चन्दन न बन पाया,

बनने को सक्षम था सिन्दूर,

वही ह्रदय है आकुल व्याकुल, समय की सीमाओं से दूर..

Monday, May 10, 2010

मिट जाना चाहता हूँ.

टुकड़े टुकड़े जोड़ रहा हूँ,
बस एक तेरी तस्वीर बनाना चाहता हूँ.

चिपका पड़ा हूँ सूखी मिटटी सा झील के कगार पे,
तुम टूट के बरसो सावन सा...
घुल के बह जाना चाहता हूँ।

अंजुली भर गर्व था,हथेलियों से रिस गया,
बचा कुछ अभिमान भी था,
जीवन की सड़क पे जूते सा घिस गया।
अब बची है बस वो आस, की तुम शायद समेट लोगी,
सूखे फूल से झरती पंखुडियां...

मै गहन रात्रि में बिन प्रकाश,
खुद दिए सा जलता हूँ.....
तुम फूटो सुबह का सूर्य बनके....
मै बुझ जाना चाहता हूँ।

एक इबारत लिख दो नयी,
चटक रंगों से जीवन के कागज़ पर,
मै उस कागज़ का नीरस, श्वेत विस्तार लिए...
मिट जाना चाहता हूँ॥

टुकड़े टुकड़े जोड़ रहा हूँ,
बस एक तेरी तस्वीर बनाना चाहता हूँ.

Monday, May 3, 2010

अब कहाँ चलें,
अब कहाँ रुकें।
कहाँ वो आशियाँ,
कहाँ वो वादियाँ॥

सब लोग चुप हैं...
सब परेशां,
सब हैरान हैं,
कहाँ कहकशां!

खुद में खोये सभी,
ख़ुदा रूठा हुआ॥
एक डर हर सु,
दिल में बैठा हुआ.

काली आंधियां चले,
तेजाब बरसता॥
कही तसल्ली नहीं,
हर शख्स तरसता॥

किस आबो हवा में,
प्यार लेके चले?...
हर वक़्त,हर जगह॥
कब तक जलें??

चलो कहीं रुक जाएँ,
थक चुके चलके..!
कितने आंसू तेरे मेरे,
रात दिन छलके!!!