सांस बस चलती रहे, और चाहिए क्या !
हर घर शमा जलती रहे,और चाहिए क्या.
ख़्वाब आते-जाते रहें, हों अच्छे या बुरे,
कुछ नींद मचलती रहे,और चाहिए क्या.
पाया, खोया, क्यूँ ये गुणा जमा का खेल,
माँ की दुआ फलती रहे,और चाहिए क्या.
कोख हो किसी की, हिन्दू कि मुसलमां,
बस बेटियां पलती रहें, और चाहिए क्या.
हर घर शमा जलती रहे,और चाहिए क्या.
ख़्वाब आते-जाते रहें, हों अच्छे या बुरे,
कुछ नींद मचलती रहे,और चाहिए क्या.
पाया, खोया, क्यूँ ये गुणा जमा का खेल,
माँ की दुआ फलती रहे,और चाहिए क्या.
कोख हो किसी की, हिन्दू कि मुसलमां,
बस बेटियां पलती रहें, और चाहिए क्या.
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