पूछता है दिल कई बार मुझसे,
ऐसा क्या प्यारा है इस दुःख में,
क्यूँ सीने से लगाये इसे,
दिन रात तू तनहा फिरता है?
मैं कहता हूँ कुछ हल्का सा,
थोडा बेबस थोडा बरबस।।
लेकिन दिल को सब है पता,
वो मुंह पर मेरे हंस देता है।
कहता है दिल मुझसे की तू,
कायर है, तू डरता है,
तू दरिया पार खड़ा है प्यासा,
बिन डूबे ही मरता है।।
क्या है ऐसा आखिर तू,
रो रो कर के पायेगा,
कौन सा ऐसा सपना है जो,
खुद तुझसे मिलने आएगा।।
चल उठ जा अब,कपडे बदल,
घर से बाहर आ कर देख,
खिली मिलेगी धुप तुझे भी,
बारिश में मुस्का कर देख।।
ऐसा क्या प्यारा है इस दुःख में,
क्यूँ सीने से लगाये इसे,
दिन रात तू तनहा फिरता है?
मैं कहता हूँ कुछ हल्का सा,
थोडा बेबस थोडा बरबस।।
लेकिन दिल को सब है पता,
वो मुंह पर मेरे हंस देता है।
कहता है दिल मुझसे की तू,
कायर है, तू डरता है,
तू दरिया पार खड़ा है प्यासा,
बिन डूबे ही मरता है।।
क्या है ऐसा आखिर तू,
रो रो कर के पायेगा,
कौन सा ऐसा सपना है जो,
खुद तुझसे मिलने आएगा।।
चल उठ जा अब,कपडे बदल,
घर से बाहर आ कर देख,
खिली मिलेगी धुप तुझे भी,
बारिश में मुस्का कर देख।।
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