Tuesday, September 21, 2010

प्यार के आर पार

प्यार के इस पार हूँ मैं, प्यार के उस पार तुम,

बीच का दरिया है गहरा, न पार मैं न पार तुम ।

प्यार एक चलती सड़क है, इसके कोलाहल को सुन,

उसपे कोई रुकता नहीं, रफ़्तार मैं,रफ़्तार तुम।

प्यार कागज़ पे छपा, प्यार कुछ शब्दों में ग़ुम

कहने को साथ हैं मगर, खबर मैं, अख़बार तुम।

प्यार तलवारों की जंग, जंग की चीखे भी सुन,

प्यार ही घायल है रण में, न जीत मैं, न हार तुम।

प्यार की बोली लगी है, यूँ प्यार के सपने न बुन,

है हस्ती तो आ खरीद ले, बाज़ार मैं, बाज़ार तुम।

प्यार के इस पार हूँ मैं, प्यार के उस पार तुम॥

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