थोड़ी सी हया, थोड़ी इंकिसारी रख,
कोई कुछ भी कहे, ये बीमारी रख.
मिले न मिले तेरा रक़ीब तुझको,
तू खंज़र बाँध ले, पूरी तैयारी रख.
अदा से मांग के मदद नहीं मिलती,
खुलके सामनें अपनी लाचारी रख.
सही चीज़ हर जगह पे बिकती है,
किसी सड़क पे भी तहबज़ारी रख.
मुश्किल से अब अच्छी नींद आती है,
संभालकर आँखों की ख़ुमारी रख.
पता नहीं कब सड़क घर बन जाए,
जीना हो तो दिल में एक मदारी रख.
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