वक़्त गुज़रता जा रहा मंज़र बदलता हीं नहीं,
मुझ सा मेरा दिल अकेला,साथ चलता हीं नहीं.
आज़माइशों औ' मिन्नतों में उम्र तक गुज़ार दी,
वो चाँद एक पल मेरे छत पे टहलता हीं नहीं.
बरसों से है दिल में जमा एक अदद कोह-ए-ग़म*,
धूप आती जाती है, वो यख़** पिघलता हीं नहीं.
हर दिन कई नए पुराने मिलते हैं लोग खुशनुमा,
वो एक सूरत न दिखे तो दिल बहलता हीं नहीं.
पथ्थरों के शहर में अब आँख में पानी कहाँ,
चीखें गूंजती हैं पर किसी को खलता हीं नहीं.
---
*कोह-ए-ग़म - mountain of pain and misery
** यख़ - cold/icy
मुझ सा मेरा दिल अकेला,साथ चलता हीं नहीं.
आज़माइशों औ' मिन्नतों में उम्र तक गुज़ार दी,
वो चाँद एक पल मेरे छत पे टहलता हीं नहीं.
बरसों से है दिल में जमा एक अदद कोह-ए-ग़म*,
धूप आती जाती है, वो यख़** पिघलता हीं नहीं.
हर दिन कई नए पुराने मिलते हैं लोग खुशनुमा,
वो एक सूरत न दिखे तो दिल बहलता हीं नहीं.
पथ्थरों के शहर में अब आँख में पानी कहाँ,
चीखें गूंजती हैं पर किसी को खलता हीं नहीं.
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*कोह-ए-ग़म - mountain of pain and misery
** यख़ - cold/icy