Tuesday, June 23, 2009

जहाँ भर के बिखरे हुए हालात की बातें करें,

हम दिन को बैठे गुलिस्तां में रात की बातें करें।

पल में जाने क्या हुआ, वो किस बात पे खफा हुए,

फ़िर मिले कभी तो उस बात की बातें करे।

हालात तो हैं सुर्ख, ज़र्द और ग़मगीन भी,

पर ख्वाब तो आजाद हैं,आ ख्वाब की बातें करे.

2 comments:

  1. accha prayas hai kintu gamon ke halat se bahar ki bhi kuch baten ho to accha lagega. i know u are capable of looking at things in a variety of ways. so do keep your vigil alive.

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  2. these are not mridul vichar but kathor/dukhi vichar

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